एक खबरिया ग्रुप का साहित्यिक महाकुंभ, साध्य ही नहीं, साधन भी मायने रखता है

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Jayram Shukla
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एक खबरिया ग्रुप का साहित्यिक महाकुंभ, साध्य ही नहीं, साधन भी मायने रखता है

जयराम शुक्ल, BHOPAL. दिल्ली में 18 से 20 नवंबर तक एक साहित्यिक महाकुंभ लग रहा है। ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 20 अक्टूबर तक चलने वाले इस महाकुंभ में कला, साहित्य, सिनेमा, संगीत के मठाधीश, महंत और पंडे जुट रहे हैं। मोरारी बापू से लेकर अशोक बाजपेयी तक। तीन दिनों में सौ से ज्यादा संस्कृति कर्मी अपनी कलाबाजी दिखाएंगे। देश, समाज और जन की चिन्ता करेंगे। आयोजक हैं "इन्डिया समूह के संचालित देश के सबसे तेज, प्रभावी, प्रतिष्ठित और विशिष्ट चैनल आजतक" और प्रायोजक है देशभर के जन बच्चों को गुटखा खिलाने वाले 'रजनीगंधा'। आयोजन के प्रोमो की जारी तस्वीर यह स्पष्ट करती है कि  "रजनीगंधा" के इर्द-गिर्द ही यह मेगा शो होगा। साहित्यकार कलाकार मानों सौरमंडल के ग्रह और नक्षत्र हैं और उनके मध्य 'रजनीगंधा' सूर्य की भांति आलोकित रहेगा।





'आजतक' की वेबसाइट ने गुटखा कंपनियों पर बोला था हमला





आयोजन और साहित्यकार तो अपनी जगह ठीक है पर आयोजक और प्रायोजक का पाखंडी चेहरा इन सबके बीच एक बड़ी खबर है। बड़ी खबर इसलिए कि आठ महीने पहले ही 'आजतक' की वेबसाइट ने रजनीगंधा समेत देश की प्रमुख गुटखा कंपनियों पर बड़ा हमला बोलते हुए इनपर देश की नईपीढ़ी को बर्बाद करने की बात की थी और मुंह के कैंसर से प्रतिदिन होने वाली तकरीबन 3500 मौतों के लिए इन गुटखा कंपनियों को जिम्मेदार बताया था।





21अप्रैल 2022 को 'आजतक' की बेवसाइट में यह गंभीर स्टोरी समूचे तथ्यों के साथ परोसी गई थी। हम इसका लिंक भी दे रहे हैं। लेकिन सार संक्षेप में जानें कि आजतक ने क्या लिखा था-





- पान मसाले के टीवी पर जो विज्ञापन आते हैं, उनमे इसे खाने वाले की लग्जीरियस लाइफ दिखाई जाती है। कोई सफेद घोड़े से आता है, कोई करोड़ों की गाड़ी से। कोई बड़े बंगले पर आरामकुर्सी में बैठे पानमसाला खाते दिखाया जाता है। हालांकि सच यह है कि खाने वाले की जिंदगी बर्बाद हो जाती है।





- मार्केट रिसर्च फर्म आईएमआरसी के अनुसार 2021 में भारत में पान मसाले का कारोबार 41,821करोड़ का रहा, 2027 तक 53000 करोड़ पार होने का अनुमान है। 





- भारत में 27 करोड़ से ज्यादा लोग तंबाकू-पान मसाले का सेवन करते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 3500 लोगों की जान चली जाती है।





- पान मसाला खाने वालों की जिंदगी बर्बाद भले हो जाए पर इसे बनाने वालों और बेचने वालों की जिंदगी आलीशान है।





- अब 'रजनीगंधा' ब्रांड पान मसाला बनाने वाले धरमपाल-सत्यपाल समूह को लीजिए। इनके वैभव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चार साल पहले इस समूह के वायस प्रेसिडेंट के बेटे की शादी स्विट्जरलैंड के सबसे मंहगे रिसार्ट से हुए उसमें 500 मेहमान शामिल हुए। 'रजनीगंधा' के विज्ञापन में  हॉलीवुड के जेम्सबान्ड फेम सितारे पियर्स ब्रॉस्नन और भारत की सबसे मंहगी अभिनेत्री प्रियंका चौपड़ा नजर आ चुकी हैं।





- 'रजनीगंधा' के अलावा आरएमडी बनाने वाला माणिकचंद ग्रुप और पानपराग बनाने बेंचने वाला कोठरी ग्रुप भी है जिनकी धनाढ्यता और ऐश्वर्य के किस्से रोज सुनने को मिलते हैं।





नई पीढ़ियों को बर्बाद करने के लिए पान मसाला कंपनियां जिम्मेदार 





इस लेख में 'आजतक' पान मसाला कंपनियों को देश की नई पीढ़ी को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए अजय देवगन, शाहरुख खान और अक्षय कुमार की भी खबर ली। ये तीनों सिने स्टार 'विमल' ब्रांड का विज्ञापन करते हैं। विमल पान मसाला बनाने की बड़ी कंपनी है। 'आजतक' अपनी रिपोर्ट में लिखता है- भारत में तंबाकू विज्ञापन पर प्रतिबंध है। हालांकि पान मसाला बनाने वाली कंपनियां माउथफ्रेशनर, इलाइची का विज्ञापन करवाकर अपने ब्रांड को पिछले दरवाजे से लोगों तक पहुंचाती हैं।





हॉलीवुड स्टार्स ने विज्ञापन पर मांगी थी माफी





हमारे देश के प्रतिष्ठानों के ढ़ोंगी चरित्र के मुकाबले विदेशी ज्यादा प्रसंशनीय है। एक कोल्डड्रिंक्स परोसे जाने पर फुटबॉल स्टार रोनाल्डो का प्रतिवाद दुनिया भर की मीडिया में सुर्खियों पर रहा। पानमसाला का विज्ञापन करने वाले हॉलीवुड स्टार पियर्स ब्रॉस्नन ने न सिर्फ स्वयं को विज्ञापन से अलग कर लिया बल्कि यह कहते हुए माफी मांगी कि उन्हें यह नहीं मालूम था कि यह तंबाकू-सुपाड़ी के उत्पाद से जुड़ा है। 





आदर्श बताने और नसीहत देने वाले कर रहे पाखंड





लेकिन हमारे यहां आदर्श बताने और नसीहत देने वाले कितने बड़े पाखंडी और दो मुहें हैं साहित्यिक महाकुंभ का आयोजन और उसमें  पानमसाला कंपनी के ब्रांड का प्रमोशन यह स्पष्ट करता है। आठ महीने पहले तक जो कंपनी पीढ़ियों को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार थी वही अब ऐसे आयोजन की प्रायोजक है जिसमें आचार-विचार और समाज के उपदेशक संस्कृतिकर्मी जुट रहे हैं।





गुटखा कंपनी के प्रमोशन में सौ से ज्यादा साहित्यकार हो रहे शामिल





यह भी जानना जरूरी है कि लगभग सौ से ज्यादा दिग्गज संस्कृतिकर्मी और साहित्यकारों में से किसी एक का भी स्वर नहीं फूटा कि गुटखा कंपनी के प्रमोशन के इस कार्यक्रम के वे भागीदार नहीं बन सकते। जबकि इनमें से ऐसे कई हैं जिन्होंने सरकार के विरोध में अपने अवार्ड वापस कर चुके हैं। 





यह हो रहे शामिल





अब आप भी जान लें कि इस तीन दिवसीय महाकुंभ में कौन से साहित्यिक/सांस्कृतिक मठाधीश, पंडे, महंत भाग ले रहे हैं- 18 से 20 अक्टूबर तक के इस आयोजन में मोरारी बापू, दीप्ति नवल, हरीश भिमानी, कैलाश सत्यार्थी, नासिरा शर्मा, अब्दुल बिस्मिल्लाह, मृदला गर्ग, मैत्रेयी पुष्पा, बुद्धिनाथ मिश्र, हंसराज हंस, हरिओम पवार, चेतन भगत, प्रसून जोशी, कबीर बेदी, स्वानंद किरकिरे, कुमार विश्वास, सुरेन्द्र मोहन पाठक, आलोक श्रीवास्तव, राजेश जोशी, राजेश बादल, मनोज तिवारी(सांसद) पियूष पांडेय, भूपेन्द्र यादव (केन्द्रीय मंत्री) राकेश ओमप्रकाश मेहरा, बशीम बरेलवी, अशोक बाजपेयी, अरुण कमल, लीलाधर जगूड़ी, नंदकिशोर आचार्य, नरेश सक्सेना, ममता कालिया, ऊषाकिरण खान और उल्लेखित नामों से ज्यादा और भी साहित्यकार और संस्कृति कर्मी हैं।





पानमसाले वालों पर आठ महीने पहले 'आजतक' की वेबसाइट में छपी रिपोर्ट





हजारों करोड़ का है पान मसाले का कारोबार, यूं ही नहीं एड के लिए ललचाते मेगा स्टार



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